Saturday 12 September 2009

बच्चे और अनुशासन

बच्चे बड़े होनहार होते हैं सब कुछ इतनी जल्दी सीख लेते हैं ,आश्चर्य भी होता है और गर्व भी
ऐसे ही कुछ बच्चों से प्रतिदिन मुलाकात होती है शाम के समय मुहल्ले के सारे बच्चे लगभग - की संख्या में खेलते, भागते, कूदते-फांदते दिख जाते हैं . सब अपने ही धुन में, ऊर्जा से भरे हुए

एक शाम बच्चों का एक समूह कुछ खेलने में व्यस्त था जिसका नेतृत्व उस समूह की सबसे बड़ी लड़की कर रही थी . लगभग - साल की. अचानक से कुछ तेज बोलने की आवाज़ से मेरा ध्यान उनकी तरफ़ गया

वो बच्चों को एक कतार में खड़े करने के लिए प्रयत्नरत थी थोड़ा झुंझला कर बोली -
"Be in line ! If you don't behave, you will not be allowed to play here."

बच्चे समझ नही पाये.


हम बड़े भी कहाँ इतनी जल्दी समझ लेते हैं.
तब उसने और भी जोर से कहा .. "if you don't listen to me, I will throw you out of the ground."

oh !
मैंने उससे पूछा , "Will they follow you if you talk like that?"
थोड़ा मुस्कुरा कर बोली , No.
और वापिस अपनी दुनिया में.....
उसे पता था , नहीं

समझ नहीं आता कि भावी कर्णधारों को बोलने का कैसा लहज़ा सिखा रहे हैं हम?
विवेक और सहनशीलता की जगह क्या पाठ पढ़ा रहे हैं उन्हें ?
क्या प्यार और स्नेह से बच्चों को अनुशासित करने की तरकीब ठीक नही?

डांट सज़ा के द्वारा एक अच्छे एवं अनुशासित बच्चे के निर्माण की कल्पना सही नही है . वरन बच्चों के उद्दंडी जिद्दी होने की संभावनाएँ बढ़ जाती है. ऐसा मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है ।

इसी से संबंधित
Pink Floyd का प्रसिद् गाना "We Don't Need No Education... " सुना था . इस गाने की लोकप्रियता से समस्या की गहराई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.







2 comments:

  1. वाह! आप भी कमाल करते हैं

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  2. आपकी लेखनी को मेरा नमन स्वीकार करें.

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