Saturday 1 November 2014

क्या है ऑनलाइन ग्रोसरी शॉपिंग?

ऑनलाइन खरीदारी अब अनोखी बात नहीं है. समय की बचत, विकल्पों की भरमार और प्रतिस्पर्धात्मक कीमतों ने इ-कॉमर्स को आम लोगों के मध्य लोकप्रिय बनाया है. स्मार्ट फ़ोन के गिरते दाम, बेहतर इंटरनेट-कनेक्टिविटी और ऑनलाइन भुगतान को लेकर घटते डर जैसी वजहों से भी ऑनलाइन खरीदारी करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ  है. इलेक्ट्रॉनिक सामान, कपड़े, जूते जैसी चीजों को ऑनलाइन खरीदने वाले ग्राहक अब आटा ,दाल, चावल, नमक, साबुन जैसी रोजमर्रा इस्तेमाल की जाने वाली चीजों की भी खरीदारी ऑनलाइन करने लगे हैं. लोगों की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े शहरों यथा मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई, पुणे, कोलकाता, चंडीगढ़ से लेकर त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, इंदौर और जमशेदपुर जैसे शहरों में भी कई ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर खुले हैं. आरामशॉप.कॉम, एकस्टॉप. कॉम, बिगबास्केट. कॉम, ऐट माय डोर स्टेप. कॉम, मायग्राहक. कॉम, ज़ॉपनाउ. कॉम, ओमार्ट.इन, लोकलबनिया. कॉम, राशनहट. कॉम, टाउनएसेंशियल. कॉम, वेजीबाज़ार. कॉम, फ्रेश एंड डेली और मैंगोशॉपर्स इत्यादि वेबसाइट में जाकर ग्रोसरी शॉपिंग की जा सकती है. 

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ऑनलाइन ग्रॉसरी रिटेल आउटलेट की संख्या भविष्य में बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि कुल इंटरनेट यूजर्स की संख्या विगत वर्ष में 12 करोड़ से 21.3 करोड़ हो गई है.
भारत में ऑनलाइन किराना का बाजार 25-30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। पूरे रिटेल बाजार में खाने और किराने के सामान के बाजार का हिस्सा करीब 300 अरब डॉलर का है।निसंदेह बड़े बाज़ार तक पहुँच और मुनाफे की अपार संभावनाएं भी उद्यमियों को भी किराने के सामान की ऑनलाइन दुकान लगाने के लिए प्रेरित कर रही है. 

ग्राहक को फायदे: 

 हर हफ्ते दूकान अथवा मॉल का चक्कर लगाना, भुगतान और डिलीवरी के लिए कतार में खड़ा होना, लिमिटेड स्टॉक मनपसनद ब्रांड का न मिलना और तमाम अन्य तरह के खर्चे किराने की शॉपिंग को उबाऊ बनाती है और इस स्थिति में  ऑनलाइन स्टोर्स बड़े फायदेमंद  साबित होते हैं. ये  स्टोर्स चौबीसों घंटे  खुले रहते हैं. अपनी सुविधा अनुसार आर्डर  दिया जा सकता है. साथ ही, अपने हिसाब से डिलीवरी स्लॉट का भी चुनाव करने की आजादी  ग्राहक को मिलती है।  लुभावने ऑफर्स और डिस्काउंट ऑनलाइन स्टोर्स का अन्य बड़ा अट्रैक्शन है। मिसाल के लिए मुंबई, बंगलुरु और हैदराबाद में बिजनेस चलाने वाली बिगबास्केट.कॉम अप्रैल में दिए जाने वाले हर पहले ऑर्डर पर 10 प्रतिशत तक डिस्काउंट दे रही है। कुछ स्टोर्स रिवॉर्ड प्वाइंट्स भी देते हैं। 1000 रुपये से ऊपर के ज्यादातर ऑर्डर पर मुफ्त डिलीवरी मिलती है। इन वेबसाइट्स पर मासिक शॉपिंग लिस्ट भी बनाने की सुविधा मिलती है जिससे काफी सहूलियत होती है. इन स्टोर्स की और भी खास बात है कि यहाँ इम्पोर्टेड सामानों की भी खासी रेंज मिल जाती है जो कि  परंपरागत दुकानों में मुश्किल है।   

 कंपनियों के काम करने के तरीके:

विभिन्न कम्पनियों ने अलग-अलग मॉडल को चुना है. कुछ कंपनियों ने अपना भंडारगृह बनाया है, जहां वे अपने प्रॉडक्ट का स्टॉक रखते हैं, जबकि कुछ ऑर्डर मिलने पर थोक खरीदारी करते हुए संबंधित ग्राहक तक माल पहुंचाने का काम करते हैं. कुछ वेबसाइट ग्राहकों का आर्डर ऑनलाइन कार्ट के अलावा फोन पर भी लेने की सुविधा देती हैं। एक बार ऑर्डर दर्ज करवाने के बाद वांछित वस्तुओं को यथासंभव उसी दिन या कुछ घंटों में ग्राहक के दरवाजे तक पहुंचाए जाने की व्यवस्था कंपनियों द्वारा की जाती है वहीँ, आरामशॉप ने एक अलग ही मॉडल को अपनाया है, जो केवल ऑर्डर लेती है और ग्राहक द्वारा अपने पसंद के चुने हुए किराना दुकान तक ऑर्डर तत्काल पहुंचा देती है. वहां से ग्रॉसरी ग्राहक तक पहुंचा दी जाती है और नकद ले लिया जाता है।इसके लिए आरामशॉप ने कई किराना दुकानों को अपने साथ जोड़ा है. यकीनन, माल की गुणवत्ता या समय पर डिलीवरी जैसे पैमाने पर इनकी पकड़ नहीं रह सकती और पर हाँ, कम निवेश और कम कर्मचारियों से भी काम चलाया जा सकता है।ग्राहकों का भरोसा जीतने के लिए  इस व्यवसाय में लगी कई कंपनियां ऑर्डर देने के कुछ घंटों की तय समय सीमा में सामान नहीं पहुंचने पर ग्राहक को आर्थिक क्षति-पूर्ति करने जैसे कदम भी उठा रही है. ऑनलाइन किराना कंपनियां कई तरीकों से उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में लगी है.

* ऑनलाइन बेचने की दिक्कतें:

बेशक ऑनलाइन किराना सामानों का चलन बढ़ रहा है लेकिन ऑनलाइन किराना कंपनियों को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. जैसे यह व्यवसाय कम मार्जिन पर आधारित है और ज्यादातर कंपनियों का कामकाज एक-दो शहरों तक ही सिमटा हुआ है. दूसरी, हरेक शहर में लोगों की आदतें भी एक सी नहीं होती. उनको समझना और पूरा करना भी भी एक चुनौती है. और तो और जल्दी खराब हो जाने वाले उत्पाद भी ऑनलाइन किराने की दुकान चलाने वालों के लिए एक चुनौती है। उन्नत तकनीक के सॉफ्टवेयर के अलावा स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ मजबूत गठजोड़ और सप्लाई की मजबूत व्यवस्था, भण्डार गृृह और स्टोरेज सुविधा, कुशल वितरण व्यवस्था जैसे ऑफलाइन घटकों को भी नजरअंदाज  नहीं किया जा सकता है।
मार्केट में अपार सम्भावनों को देखते हुए संगठित खुदरा शृंखलाएं भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऐसी पेशकश करने लगी हैं। फ्यूचर समूह की प्रीमियम फूड शृंखला फूडहॉल के बाद अब रिलायंस इंडस्ट्रीज की खाद्य एवं किराना (फूड ऐंड ग्रोसरी) शृंखला रिलायंस फ्रेश और एमेजॉन भी इस दौड़ में शामिल हो गई है।स्पेंसर्स रिटेल और आदित्य बिड़ला के अलावा अन्य कंपनियों के भी इस कारोबार में आगे बढ़ने के पूरे आसार है.

जाहिर है, उपभोक्ताओं को तो कई विकल्प मिलने वाले हैं वहीँ इस बाजार पर कब्जे के लिए ऑनलाइन कंपनियों में प्रतियोगिता भी बढ़ने वाली है. पर हाँ, रचनात्मक सोच के साथ उत्कृष्ट ग्राहक सेवा देकर ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर बड़ा मुनाफा कमा सकती है.



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