Tuesday 11 August 2020

माइ बॉडी माइ चॉइस: यू एस ए और मास्क


भविष्य में सन २०२० को कोरोना वायरस के साथ ही याद किया जाएगा।और, इस महामारी से जुड़े कुछ अन्य शब्दों से भी -वैक्सीन ,हर्ड इम्युनिटी, लॉकडाउन,सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन, हैंड वाश या फिर मास्क इत्यादि।तक़रीबन ८ महीने पहले चीन के वुहान शहर से दुनिया भर में फैली इस महामारी से करीबन ७लाख लोगों की जानें गयी हैं वहीँ कुल संक्रमित लोगों की संख्या १ करोड़ ८७ लाख के करीब है। अभी भी संक्रमण का सिलसिला रुका नहीं है और इसका भविष्य अनिश्चित- सा है। ऐसे में, हमारे हित में है कि हम इस संक्रमण से बचकर रहें और सरकारों या इस क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा संक्रमण से बचने सम्बन्धी ज़ारी दिशा -निर्देशों का पालन करें।
इस संक्रमण से बचने के सन्दर्भ में शुरूआती ना-नुकुर के बाद लगभग हर देश की विभिन्न स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा जिस एक बात पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है वह है, मास्क का उपयोग। दुनिया भर के कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहे अधिकांश देशों में घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाने को कानूनन अनिवार्य घोषित कर दिया गया है। बार -बार कहा जा रहा है कि प्रत्येक को मास्क लगाने के साथ -साथ सोशल डिस्टन्सिंग का कड़ाई से पालन करना चाहिए ताकि हम इस महामारी पर अपना नियंत्रण न खोएं।
फिर क्या वजह है कुछ देशों संयुक्त राज्य अमेरिका या ब्रिटेन में एंटी मास्क प्रोटेस्ट का। यक़ीनन इन देशों के भी ज्यादातर नागरिक मास्क लगाने की जरूरत को लेकर एकमत हैं वहीँ कुछ लोग मास्क के विरोधी भी। अमेरिका के कई राज्यों में कुछ लोगों द्वारा एंटी मास्क प्रोटेस्ट किये गए। और-तो और कुछ राज्यों की सरकारें भी इनके साथ खड़ी नजर आईं। महामारी के दुखद दौर में भी इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया गया।डेमोक्रेटिक मास्क लगाने के पक्षधर और रिपब्लिकन मास्क विरोधी।एक तरफ कई प्रतिष्ठित प्रतिमाओं मसलन न्यूयोर्क पब्लिक लाइब्रेरी के बाहर लगी सिंह की प्रतिमा या फिर न्यूयोर्क स्टॉक एक्सचेंज के प्रवेश स्थान पर द फियरलेस गर्ल आदि के फेस मास्क लगाये फोटो प्रसारित कर लोगों को मास्क लगाने प्रेरित किया जा रहा है, वहीँ दूसरी तरफ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन मानकर समाज के कुछ प्रतिशत लोगों द्वारा इस आदेश का जमकर विरोध किया गया है।
संक्रमण के खतरे को कम करने में कारगर कपडे के एक छोटे- से टुकड़े को लेकर अमेरिका जैसे विकसित देश में मचा बवाल कई सवाल खड़े करता है।विरोधियों की नजर में मास्क इस्तेमाल करने वालों को एंटी अमेरिकन, पैरानॉयड कहा जा रहा है। 'माइ बॉडी माइ चॉइस ' का नारा लगाकर मास्क लगाने के आदेशों का जमकर विरोध किया गया है। कहीं कुछ दुकानों में मास्क पहनने वाले ग्राहकों को दुकानों में प्रवेश से प्रतिबंधित किया गया तो कहीं ग्राहकों द्वारा दुकानों में मास्क अनिवार्य किये जाने की स्थितिमें सुरक्षा कर्मियों के साथ झड़पें, गाली देने, दरवाजा पटकने और जोर -जोर से चिल्लाने जैसी खबरें सामने आयी. राह चलते लोगों के मास्क खींचने और उनके मुंह पर छींकने - खांसने जैसी हरकतें निंदनीय है तब जबकि इस बात को प्रमाणित किया जा चुका है कि 'मास्क वर्क्स'। कुल ५ मिलियन केसेस और १६३००० मौतों के बावजूद मास्क को लेकर इतना विरोध क्या मूर्खता नहीं है? निसंदेह कुछ लोगों की ऐसी विकृत सोच पूरे समाज के लिए घातक है।