ऐसे ही कुछ बच्चों से प्रतिदिन मुलाकात होती है ।शाम के समय मुहल्ले के सारे बच्चे लगभग ७-८ की संख्या में खेलते, भागते, कूदते-फांदते दिख जाते हैं . सब अपने ही धुन में, ऊर्जा से भरे हुए।
एक शाम बच्चों का एक समूह कुछ खेलने में व्यस्त था जिसका नेतृत्व उस समूह की सबसे बड़ी लड़की कर रही थी . लगभग ७-८ साल की. अचानक से कुछ तेज बोलने की आवाज़ से मेरा ध्यान उनकी तरफ़ गया।
वो बच्चों को एक कतार में खड़े करने के लिए प्रयत्नरत थी । थोड़ा झुंझला कर बोली -
"Be in line ! If you don't behave, you will not be allowed to play here."
बच्चे समझ नही पाये.
तब उसने और भी जोर से कहा .. "if you don't listen to me, I will throw you out of the ground."
oh ! मैंने उससे पूछा , "Will they follow you if you talk like that?"
थोड़ा मुस्कुरा कर बोली , No.
और वापिस अपनी दुनिया में.....
उसे पता था , नहीं।
समझ नहीं आता कि भावी कर्णधारों को बोलने का कैसा लहज़ा सिखा रहे हैं हम?
विवेक और सहनशीलता की जगह क्या पाठ पढ़ा रहे हैं उन्हें ?
क्या प्यार और स्नेह से बच्चों को अनुशासित करने की तरकीब ठीक नही?
डांट व सज़ा के द्वारा एक अच्छे एवं अनुशासित बच्चे के निर्माण की कल्पना सही नही है . वरन बच्चों के उद्दंडी व जिद्दी होने की संभावनाएँ बढ़ जाती है. ऐसा मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है ।
इसी से संबंधित
Pink Floyd का प्रसिद् गाना "We Don't Need No Education... " सुना था . इस गाने की लोकप्रियता से समस्या की गहराई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
वाह! आप भी कमाल करते हैं
ReplyDeleteआपकी लेखनी को मेरा नमन स्वीकार करें.
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