Thursday 10 September 2009

क्या नियम कानून इसीलिए बनाये जाते हैं?

आज सुबह से घर में ग्रिल वर्क चल रहा था .वही घर के चाहरदीवारी को लोहे के छड़ से घेर दिए जाने का काम. मतलब टोटल सुरक्षा। छोटे छोटे शहरों से लेकर बड़े बड़े महानगरों तक दृश्य आम है .कोई नयी बात नहीं।
बस सब कुछ फिट कर जाते समय वेल्डर एक हिदायत देने लगा।
मैडम , इलेक्ट्रिसिटी वाले आए और पूछे की ग्रिल कब लगवाया तब कह दीजियेगा घर ख़रीदा तबसे है।
अब इसे क्या हो गया , पर क्यूँ?
क्यूंकि वो फिट करते वक्त पॉवर यूज करना पड़ता है , उसके लिए परमीसन लेना होता है।
मैंने पूछा, बताया क्यूँ नही पहले?
क्या झंझट में पड़ना मैडम .. २-३ दिन लेट भी हो जाता ..
आगे मैं कुछ बोल नही पाई .. हाँ हाँ ठीक है .
अगर आप हाँ बोलेंगे तब ५०-१०० रुपये लेकर मानेगा ।
हाँ, ठीक है ।
बात खत्म हुई । वो चलता बना ।

तब से मन सवालों के जाल में फंसा है। अब क्या करे एक इंसान जो की हमेशा नियम पालन की कोशिश करता है, अब जाकर कहे विद्युत विभाग को भई हमने आप के नियम को भंग किया है , दे दो सजा, ले लो जुरमानाया कहे की क्यूँ नोटिस चिपका कर नही रखते की अगर ऐसा कुछ काम कराएँ तब पहले स्वीकृति ले ले। या फिर आप ने ये नियम ही इसलिए बनाया है की उपरी कमाई होती रहे ? आप क्या कहते हैं ?

3 comments:

  1. नियम पालन करना भी चाहो, तो प्रक्रिया इतनी जटिल है कि नियम न पालन करना ज्यादा सुविधाजनक और सस्ता लगता है. सिम्पल सिस्टम बनायें तो किसी को पालन करने में क्या एतराज.

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  2. लेखनी प्रभावित करती है.

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  3. आप नियम पालन नहीं किये जाने की आत्मस्वीकृति ले कर जाए तो सही...
    बिना कुछ लिए तो आपका गुनाह भी कबूल नहीं किया जायेगा..यही सिस्टम है..!!

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