Sunday 13 May 2018

हैप्पी मदर्स डे

आज मदर्स डे है। एक माँ के प्यार, समर्पण, त्याग को याद कर परिवार के अन्य सदस्यों की ज़िंदगियों में उनकी अहमियत का अहसास दिलाये जाने का दिन. इन दिवसों को मनाये जाने का एक सकारात्मक साइड इफ़ेक्ट है कि दुनियाभर में एक माँ की भूमिका की कदर की जाने की शुरुआत हुई है, मातृत्व की चुनौतियों को महसूस किया जा रहा है, निम्न दर्ज़े का काम समझेजाने वाले इस काम के प्रति लोगों का नजरिया बदलने लगा है और  साथ ही लोगों को अपनी माँ के प्रति खुलकर अपनी भावनाओं का इज़हार करने का मौका भी मिल रहा है. संदेश भेजकर, उपहार या कार्ड देकर, या बुके देकर इस प्यार से भरे रिश्ते का को और भी प्यारा बनाया जा रहा है. सब रिश्तों से अनमोल माँ-बच्चे के इस रिश्ते को अनोखे ढंग से मनाने के तरीके ढूंढें जा रहे हैं. कोई मौका खोना नहीं चाह रहा अपनी माँ को जता देने का, हाउ मच आई लव यू...
और क्यों न जताया जाए, माँ -बच्चे का रिश्ता होता ही है बहुत प्यारा। जन्म देने से लेकर जीवन के हर कदम पर थामे रहती है, माँ अपने बच्चे का हाथ। कभी प्यार से और कभी सख्ती से एक गुरु या दोस्त बनकर जीवन का पाठ पढाती है,निस्वार्थ। अपने बच्चे और परिवार की ज़िन्दगियों में खुशियाँ भरने के लिए खुद की खुशियों की कुर्बानियां देने से नहीं चुकती। मिस वर्ल्‍ड के फाइनल राउंड में मानुषी छिल्लर से पूछे गए सवाल कि 'किस प्रोफेशन को सबसे ज्यादा सैलेरी मिलनी चाहिए' के जवाब के तौर पर  'एक मां को सबसे ज्यादा इज्जत मिलनी चाहिए और जहां तक सैलरी की बात है, तो इसका मतलब रुपयों से नहीं बल्कि सम्मान और प्यार से है' कहे जाने पर दुनिया भर के लोगों द्वारा पसंद किया जाना हर माँ की बच्चे के जीवन में एक विशेष भूमिका को साबित करता है.
रोते हुए बच्चे को बस माँ की गोद चाहिए होती है शांत होने के लिए. हलकी लगी चोट के दर्द गायब होने के लिए   माँ का केवल वह जादुई स्पर्श या एक हलकी फूँक काफी होती है. किसी प्रतियोगिता में जाने से पहले माँ का अपने बच्चे के ऊपर विश्वास बच्चे के आत्मविश्वास को कम होने नहीं देता। 'चाहे कुछ भो हो जाये, मैं तुम्हारे साथ हूँ' का आभास कराकर बच्चों के हर सुख-दुख के क्षणों में उनके साथ ताउम्र सहारे के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खड़ी रहती है। कितनी ही बदमाशियों को झेल जाती है और कभी गुस्सा हुई तो मनाने के लिए जरूरी होती है बस थोड़ी सी मिन्नत! बहुत बड़ा दिल होता है माँ का. कहते हैं, भगवान् हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया।

इतना प्यार और सम्मान जहाँ रिश्तों को और अधिक मधुर बनाने में मददगार है, वहीँ एक माँ के रूप में एक औरत से और अधिक जिम्मेवार होने की अपेक्षा भी करता  है। बच्चे को जन्म देने से लेकर उसकी परवरिश और अन्य दायित्वों का निर्वहन निसंदेह एक जटिल कार्य है, जिसका नाता बच्चे के व्यक्तित्व के विकास से जुड़ा है. हर इंसान के व्यक्तित्व पर अपनी माँ के व्यक्तित्व का अच्छा -खासा प्रभाव पड़ता है. इसका प्रमाण हमें कई सफल व्यक्तियों की जीवनियों को पढ़कर मिलता है. जीवन के प्रति नजरिया, विषम परिस्थितियों से मुकाबला करने के तरीकों और संतुलित व्यवहार से लेकर बच्चों से जुड़े हर छोटे- बड़े मुद्दों में माँ की भूमिका पहले से ज्यादा बढ़ गयी है. ऐसे में हर वक्त अपने आप को और बेहतर और समझदार इंसान बनाने की कोशिश जारी रख, अपनी एवं अन्य की गलतियों और अनुभवों से सीखने और उसे न दुहराने का वादा खुद से कर इस चुनौती का सामना करने के लिए हर माँ को तैयार रहना होगा। इस जटिल काम का प्रशिक्षण किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं दिया जाता और एक अच्छी औरत होना एक अच्छी माँ होने का लाइसेंस भी नहीं देता.




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